प्रदूषण सेहत के लिए बड़ा खतराImage Credit source: Getty Images
दिल्ली और आसपास से सटे इलाकों में वायु प्रदूषण बढ़ा हुआ है. हफ्तों से ये समस्या जारी है. लेकिन पॉल्यूशन के बढ़े हुए लेवल में कमी नहीं आ रही है. पॉल्यूशन के कारण लोगों को सांस की बीमारियां हो रही हैं. कुछ लोगों को सांस लेने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. प्रदूषण से शरीर के हर अंग पर असर पड़ता है, लेकिन लंग्स पर इसका प्रभाव ज्यादा होता है. प्रदूषण के बढ़े हुए लेवल के कारण लोग निमोनिया जैसी खतरनाक बीमारी का भी शिकार बन सकते हैं. ऐसे में आइए आपको बताते हैं कि निमोनिया क्यों होता है. इसके शुरुआती लक्षण क्या हैं और इससे बचाव कैसे किया जा सकता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, वायु प्रदूषण फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है, पॉल्यूशन बढ़ने से निमोनिया का रिस्क भी बढ़ जाता है. प्रदूषण से फेफड़ों की क्षमता कम होती है, जिससे निमोनिया होने की आशंका रहती है. WHO की रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण से हर साल 7 मिलियन लोगों की मौत होती है, जिसमें निमोनिया एक प्रमुख कारण है. अमेरिकन लंग एसोसिएशन के अनुसार, वायु प्रदूषण से निमोनिया के खतरे 20 से 30 फीसदी तक बढ़ जाता है. जिन लोगों को पहले से ही ये बीमारी है उनकी समस्या प्रदूषण के बढ़ने से और भी खतरनाक हो जाती है.
प्रदूषण से निमोनिया कैसे होता है?
दिल्ली के आरएमएल हॉस्पिटल में मेडिसिन विभाग में प्रोफेसर डॉ. सुभाष गिरि बताते हैं कि जब कोई व्यक्ति सांस लेता है तो प्रदूषण में मौजूद छोटे कण लंग्स में चले जाते हैं. ये लंग्स की अल्वियोल्स (फेफड़ों की छोटी ग्रंथियों) को नुकसान पहुंचाते हैं. ये छोटे कण लंग्स की क्षमता को कम कर देते हैं. लंग्स कमजोर होने से उनपर निमोनिया फैलाने वाले बैक्टीरिया और वायरस का हमला आसानी से हो जाता है और इससे व्यक्ति निमोनिया का शिकार होता है.
क्या हैं निमोनिया के लक्षण
तेज बुखार
खांसी
सीने में दर्द
सांस लेने में परेशानी
निमोनिया से बचाव कैसे करें
बाहर जाने से पहले मास्क लगाएं
भीड़ वाले इलाकों में जाने से बचें
बाहर एक्सरसाइज न करें
खानपान का ध्यान रखें
खांसी अगर तीन दिन से ज्यादा है तो इसको नजरअंदाज न करें