स्तन कैंसर से होने वाली मौतों में आई कमीImage Credit source: ljubaphoto/E+/Getty Images
सर्वाइकल कैंसर के बाद अगर महिलाओं की सबसे अधिक मौतें किसी कैंसर से होती हैं तो वो ब्रेस्ट कैंसर. ये महिलाओं में होने वाला बेहद ही कॉमन कैंसर है और आधुनिक समय में जब महिलाएं बेहद ही कम समय के लिए बच्चे को ब्रेस्टफीड करवाती हैं और लेट उम्र में शादी और बच्चे पैदा हो रहे हैं ऐसे में इन महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. लेकिन राहत की बात ये है कि पिछले कुछ सालों में इससे होने वाली मौतों में काफी कमी देखने को मिली है. यानी अब समय रहते इलाज मिलने से इस कैंसर से मौतों के आंकड़े में काफी कमी आई है.
ब्रेस्ट कैंसर ब्रेस्ट की कोशिकाओं के अनियमित रूप से बढ़ने के कारण होता है. अक्सर ये स्तन में एक गांठ के रूप में बनता है. इस गांठ को आप सेल्फ एग्जामिनेशन कर भी महसूस कर सकते हैं. वर्ना इसकी डिटेक्शन के लिए मैमोग्राफी की जाती है. अगर इस पर ध्यान न दिया जाए तो ये कैंसर आसपास के लिम्फ नोड्स और अन्य अंगों तक फैल जाता है. इसके इलाज के लिए सर्जरी, रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और हार्मोन थेरेपी की जाती हैं. जिनके अपने अपने साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. लेकिन इलाज के बाद ये कैंसर ठीक हो जाता है.
ब्रेस्ट कैंसर से होने वाली मौतों में कमी की वजहें
अमेरिकन कैंसर सोसायटी की तरफ से पब्लिश एक रिपोर्ट में बताया गया है कि हालांकि 50 से कम उम्र की महिलाओं में कैंसर के मामले पहले के मुकाबले बढ़े हैं लेकिन राहत की बात है कि इससे होने वाली मौतों में कमी आई है. इस रिपोर्ट में पाया गया है कि साल 1989 से 2022 के दौरान स्तन कैंसर से होने वाली मौतों में 44 फीसदी की कमी आई है. जिसका मतलब है कि इस कैंसर की वजह से 5,17,900 मौतें कम हुई है और ये महिलाएं कैंसर के खिलाफ अपनी जंग जीत पाई हैं. इस गिरावट की मुख्यत: तीन वजहें हैं. पहला है अर्ली डायग्नोस, दूसरा है पहले से बेहतर इलाज और तीसरा है ब्रेस्ट कैंसर के प्रति लोगों की जागरूकता. यही वजह है कि इससे होने वाली मौतों में कमी आ रही है.
40 साल के बाद कराएं मैमोग्राफी
इससे होने वाली मौतों की कमी में सबसे बड़ी वजह है अर्ली डायग्नोज. अगर आप कैंसर का पता समय रहते लगा लेते हैं तो इसका इलाज करना उतना ही आसान हो जाता है इसलिए डॉक्टर हर महिला को 40 साल के बाद हर दो साल में मैमोग्राफी कराने की सलाह देते हैं. इसके अलावा सेल्फ एग्जामिनेशन से भी आप इसका पता समय रहते लगवा सकते हैं.
पहले से बेहतर इलाज
वही अगर इसका पता शुरुआती स्टेज में लग जाए तो कैंसर का इलाज आसान हो जाता है. साथ ही पहले के मुकाबले बेहतर तकनीक इसका इलाज आसान बना रही हैं. अब कैंसर के लिए ऐसी काफी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है जिससे बेहद कम समय में और बेहद कम साइड इफेक्ट्स के साथ इसका इलाज मुमकिन हो जाता है साथ ही पैशेंट को इससे रिकवर करने में बेहद कम समय लगता है.
जागरूकता है जरूरी
मनस्थली में डॉयरेक्टर और सीनियर सायकेट्रिस्ट डॉ ज्योति कपूर बताती हैं किब्रेस्ट कैंसर का डायग्नोसिस होने पर पूरा जीवन बदल जाता है. ऐसे में महिलाओं में इस बीमारी को लेकर जागरूकता होना जरूरी है. इससे समय पर बीमारी की पहचान हो सकेगी.चूंकि कम उम्र की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले हर साल 1 प्रतिशत की दर से बढ़ रहे हैं ऐसे में इसको लेकर लोगों को अवेयर होने की बेहद जरूरत है. इसलिए इस कैंसर के बारे में महिलाओं को जागरूक करने के मकसद से अक्टूबर महीने को ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है ताकि महिलाओं को इसके होने वाले कारण, लक्षण और इलाज के बारे में जागरूक किया जा सके.
कैंसर से बचाव के तरीके
ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के लिए एक्सपर्ट्स ब्रेस्ट फीडिंग और सही समय में बच्चे पैदा करने की सलाह देते हैं क्योंकि ये दो कारण इसके रिस्क फैक्टर को बढ़ाते हैं. इसके अलावा हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर भी इस कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है.