प्रदूषण कैसे मौत का कारण बन जाता हैImage Credit source: Getty Images
आज कैंसर, हार्ट अटैक जैसी बीमारियां बेहद आम हो चली है लेकिन इन सबके बीच एक ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे आप पर अटैक करती है और आपकी मौत का कारण बन जाती है, लेकिन इन बीमारियों के बढ़ते दायरे के बीच वायु प्रदूषण भी लोगों की मौत का कारण बन रहा है. ये धीरे-धीरे शरीर को नुकसान करता है. वायु प्रदूषण सोओपीडी जैसी बीमारी करता है. यह बीमारी फेफड़ों को नुकसान करती है और शरीर को धीरे-धीरे खराब करती है. इसलिए इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है. वायु प्रदूषण के कारण हर साल लोगों की मौत हो रही है. इस बीच बेंगलुरु से एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है. इसमें बताया गया है कि बेंगलुरु में होने वाली मौतों का एक तिहाई हिस्सा वायु प्रदूषण की वजह से है. वहां की गई एक रिसर्च में सामने आया है कि वायु प्रदूषण के कारण वहां के शहरों में रहने वाले लोगों की लाइफ एक्सपेक्टेंसी कम हो रही है और लोग इस जहरीली हवा के चलते समय से पहले मर रहे हैं.
वायु प्रदूषण के चलते लोगों के फेफड़े इफेक्ट हो रहे हैं. यहां ज्यादातर शहरी लोग अपने दिन की शुरुआत सुबह की सैर या जिम से करते हैं और दिन की समाप्त डाइट फूड से करते हैं लेकिन इन सबके बावजूद वो इस जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर है जो धीरे-धीरे उनके लंग्स को खराब कर रही है. यही वजह है वहां के 35 फीसदी से ज्यादा लोग वायु प्रदूषण के कारण क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज से बीमार हो रहे हैं ये लंग्स से जुड़ी एक गंभीर समस्या है.
प्रदूषण कैसे मौत का कारण बन जाता है
देश में हार्ट अटैक और कैंसर के बाद क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज यानी की सीओपीडी बीमारी लोगों की जान ले रही है. पिछले कुछ सालों में प्रदूषण के चलते 35 फीसदी लोग इस बीमारी से ग्रस्त हुए हैं और इसकी वजह से होने वाली मौतों में भी एक तिहाई की वृद्धि देखी गई है. बैंगलुरु में रहने वाले हर सौ में से 30 लोग इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं. प्रदूषण से सीपीओडी बीमारी हो रही है और ये बीमारी लोगों की जान ले रही है.
दिल्ली के मूलचंद अस्पताल में पल्मोनरी विभाग में डॉ. भगवना मंत्री बताते हैं कि सीओपीडी लंग्स से जुड़ी एक ऐसी बीमारी है जिसमें वायुमार्ग या फेफड़ों के कई भाग प्रदूषण या अन्य कारणों के कारण क्षतिग्रस्त हो जाते हैं. जिससे वायुमार्ग रूक जाता है और व्यक्ति का सांस लेना तक मुश्किल हो जाता है. लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से ये बीमारी हो होती है. इस बीमारी की वजह से मरीज को लगातार खांसी बनी रहती है और सांस की नली में बलगम जम जाता है. इसकी वजह से सांस में तकलीफ, सीने में जकड़न होनी शुरू हो जाती है. सांस लेने में परेशानी अगर लंबे समय तक बनी रहती है तो ये लंग्स और हार्ट दोनों को प्रभावित करती है और इससे लंग्स में गंभीर और हार्ट फेल होने का रिस्क रहता है. जो मौत का कारण बनता है.
सीओपीडी के लक्षण
– लगातार खांसी होना
– खांसी के साथ बलगम आना
– छाती में कंजेशन महसूस करना
– सांस लेने में तकलीफ होना
– छाती में घरघराहट महसूस होना
– त्वचा का नील पड़ना
– अत्याधिक थकान महसूस करना
– बार-बार फेफड़ों में इंफेक्शन होना
– वजन का तेजी से कम होना
सीओपीडी होने के कारण
– वायु प्रदूषण
– स्मोकिंग
– तंबाकू का सेवन
– धूएं या केमिकल्स वाली फैक्टरी में काम करना
सीओपीडी का इलाज क्या है
सीओपीडी का इलाज पूरी तरह नहीं किया जा सकता है लेकिन इसको कंट्रोल कर सकते हैं. अगर आपको लगातार खांसी और सीओपीडी के अन्य लक्षण हैं तो डॉक्टर से सलाह लें. डॉक्टर चेस्ट एक्स-रे समेत कुछ जरूरी टेस्ट करवा सकते हैं और इसका ट्रीटमेंट थोड़ा लंबा चल सकता है. इन लक्षणों को नजरअंदाज करने से स्थिति बहुत ज्यादा बिगड़ सकती है और आपकी जान तक जा सकती है. इसलिए बिना देरी किए लंग्स के डॉक्टर को जरूर दिखाएं और खांसी बलगम के लिए खुद से दवाई न लें. खुद से दवाईयां लेने से बलगम बाहर निकलने की बजाय छाती में ही जम जाएगी जिससे आगे चलकर ज्यादा परेशानी हो सकती है. इसलिए बिना देरी किए चेस्ट एक्स-रे करवाकर डॉक्टर से जरूर मिलें.