वायरल बुखार, डेंगू, मलेरिया में आप भी ले रहे हैं पैरासिटामोलImage Credit source: Westend61/Getty Images
दिल्ली, पुणे, पटना, महाराष्ट्र समेत देश के कई राज्यों में वायरल बुखार, डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं. जानकार मान रहे हैं कि इस बार मच्छरों से होने वाली बीमारी ने पिछले कई सालों के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि इस बार मानसून काफी लंबा चल रहा है और सितंबर महीने में भी देश के कई राज्यों में बरसात हो रही है जिससे जगह जगह जलभराव इन मच्छरों के अनुकूल बना हुआ है. स्वास्थ्य मंत्रालय भी स्थिति पर नजर बनाए हुए है और सभी राज्यों को हर जरूरी कदम उठाने की हिदायत दी गई है.
डेंगू, मलेरिया के बढ़ रहे हैं केस
इस साल ज्यादा बारिश होने की वजह से जगह जगह से डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं और यही वजह है कि अस्पतालों में इस समय इन मामलों से पीड़ितों की भीड़ आ रही है. यही वजह है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने हर अस्पताल को इन मरीजों के लिए अतिरिक्त बेड लगाने की सलाह दी है. बावजूद इसके लोगों को बेड नहीं मिल पा रहे हैं. अगर आपके आसपास किसी को भी इन वायरल फीवर के लक्षण दिखाई देते हैं तो उसे अस्पताल में भर्ती जरूर करवाएं क्योंकि जरा सी लापरवाही से मरीज की जान तक जा सकती है.
न लें ज्यादा पेरासिटामोल
वायरल फीवर का प्रकोप हर तरफ है, लगभग ज्यादातर घरों में वायरल फीवर के मरीज मिल रहे हैं लेकिन अस्पतालों में बेड न मिलने के कारण मरीज घर पर रहकर इलाज कराने को विवश हो रहे हैं. ऐसे में अगर आप घर रहकर बुखार के लिए पैरासिटामोल ले रहे हैं तो ध्यान रखें कि दिन में 3 से ज्यादा और 24 घंटों में 4 से ज्यादा पैरासिटामोल न लें. डॉक्टरों का कहना है कि दिन में 3 से ज्यादा और 24 घंटों में 4 से ज्यादा पैरासिटामोल की डोज आपके लिए खतरनाक हो सकती है. इसलिए फीवर होने पर आप डॉक्टर की सलाह अनुसार ही दवाई लें. लेकिन डोज का ध्यान रखें और अगली डोज 6 घंटे बाद ही लें. यानी हर खुराक में 6 घंटे का अंतराल रखें क्योंकि ओवरडोज के अपने साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के बुखार में कमजोरी और थकान महसूस हो सकती है इसलिए दवा के साथ साथ पानी पीते रहें और ज्यादा से ज्यादा आराम करने की कोशिश करें.
बुखार की स्थिति में क्या करें
– दिन में 3 से ज्यादा पैरासिटामोल न लें.
– हर खुराक में 6 घंटे का अंतराल रखें.
– पैशेंट को लिक्विड डाइट ज्यादा दें, उसमें दलिया, खिचड़ी आदि दें.
– पानी पिलाते रहें.
– नारियल पानी भी दें.
ज्यादा गंभीर लक्षण होने पर अस्पताल में मरीज को भर्ती करवाएं.