अगर इस इंफेक्शन का पता दो-ढाई महीने के अंदर चल जाए तो ये क्योर हो सकता है। लेकिन ऐसा होता कहां है ज्यादातर मामलों में पता तब लगता है जब लंग्स डैमेज होकर इर्रिवर्सेबल कंडीशन में पहुंच जाते हैं। लंग्स के सेल्स डैमेज होकर सख्त हो जाते हैं सांस लेने में तकलीफ होती है और फिर शरीर में ऑक्सीजन का लेवल घटने लगता है जिससे एंग्जायटी अटैक आते हैं अब ऐसे में बाबा रामदेव से जानें बचे कैसें और लंग्स को कैसे इतना मजबूत बनाएं कि इंफेक्शन का असर ना हो।
खतरे में लंग्स-
- रेस्पिरेटरी डिसऑर्डर
- लंग्स में इंफेक्शन
- सांस नली में सिकुड़न
- चेस्ट में जकड़न-भारीपन
- सांस लेने में दिक्कत
अस्थमा पेशेंट- भारत में
- 3 करोड़ से ज़्यादा मरीज़
- फर्स्ट स्टेज वाले 82% बीमारी से अंजान
- देश में दुनिया के 13।09% मरीज़
अस्थमा की वजह – भारत में
- क्लाइमेट चेंज 50%
- केमिकल का इस्तेमाल 37%
- पॉल्यूशन-डस्ट 42%
- फिज़िकल एक्सरसाइज़ 13%
- लाइफस्टाइल हैबिट 28%
- स्ट्रेस 16%
फेफड़े बनेंगे फौलादी – क्या करें?
- रोज प्राणायाम करें
- दूध में हल्दी लें
- त्रिकुटा पाउडर लें
- रात को स्टीम लें
खांसी में रामबाण
- 100 ग्राम बादाम लें
- 20 ग्राम कालीमिर्च लें
- 50 ग्राम शक्कर लें
- बादाम, काली मिर्च, शक्कर मिला लें
- दूध के साथ 1 चम्मच खाने से फायदा